
मेरे प्यारे पापा, मेरे भोले पापा…
यादों की रेलगाड़ी में बैठ चल पड़ी हूं बचपन से लेकर अभी तक की यादों में..
वो आपका बारी बारी से सभी को झूला झुलाना बाहों में,
तो कभी बन जाना घोड़ा और करवाना पीठ की सवारी.. बस इसका बहुत हुआ पापा अब है बारी हमारी,
अपनी इस छोटी सी गुड़िया की एक ज़िद पर पूरे बाज़ार से ढूंढ कर लाना फ्रॉक गुड़िया वाली..
कभी बार बार ज़िद करने पर लाना अपनी गुड़िया के लिए गुड़िया आँखों वाली,
जब हुई ज़रा सी भी तबियत मेरी नासाज़.. बैठे रहे फिक्र से पूरी रात सिर पर रखकर हाथ,
जब कभी भी कुछ मांगने पर माँ ने किया मना.. आपने बिना बोले ला कर दिया उस से कई गुना,
नहीं किया भेद कभी बेटे और बेटी में.. किसी ने कुछ कहा तो हमेशा कहा करो सुधार अपनी सोच छोटी में,
पापा जो हमेशा ही आगे बढ़ने और पैरों पर खड़ा होने करते रहे प्रेरित.. जिनसे रहता था हमेशा अपनेपन का एहसास और संबल पोषित
आज निकल पड़े हैं दूर बहुत दूर सुदूर यात्रा पर छोड़ कर अनगिनत यादें..
मेरे प्यारे पापा, मेरे भोले पापा
There are no word in the world which can describe the importance of Parents …. You have done great …its so beautiful but emotional that i cannot hold my tears
Ab mithi yaadon me sath hi rehenge…jo saari umar sath rehga 🙂
Nice poem. Mere pyare papa hamesha mere sath rehna mere dil me………
❤️
Love you richu papa sath hi hi apne pass unka Ashirwad sath hi
बहुत सुंदर रचना